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ईएसएमडी

  • ईएसपीपी

  • ईएसजी फ्रेमवर्क के साथ संरेखण

  • प्रमुख सतत पहलें

  • अपशिष्ट प्रबंधन

  • हितधारक परामर्श/सार्वजनिक भागीदारी

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में प्रयास

  • प्रकटीकरण

पर्यावरण और सामाजिक नीति कथन

"पावरग्रिड सतत विकास और प्रकृति और प्रकृति संसाधनों के संरक्षण के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है। अपनी प्रबंधन प्रणाली में लगातार सुधार करते हुए, विशेषज्ञ ज्ञान तक पहुंच और अत्याधुनिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिद्ध प्रौद्योगिकियों को पेश करते हुए, पावरग्रिड परिहार, न्यूनीकरण और के बुनियादी सिद्धांतों का सख्ती से पालन करता है। पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों से निपटने में शमन। जहां आवश्यक हो, बहाली और वृद्धि भी की जाती है।

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प्रमुख उपलब्धि

  • 1998

    ईएसपीपी विकसित किया गया और पावरग्रिड में इसका कार्यान्वयन शुरू किया गया

  • 2005

    बहुपक्षीय वित्त पोषण एजेंसियों सहित बदले हुए नियमों और दिशानिर्देशों के अनुरूप ईएसपीपी को पहली बार अंद्यतन किया गया।

  • 2009

    विश्व बैंक की देश प्रणाली (यूसीएस) नीति के उपयोग के अनुरूप बनाने के लिए ईएसपीपी का दूसरी बार अद्यतन किया गया।

  • 2010

    वित्तीय वर्ष 2008-09 के लिए एक स्टैंडअलोन सततता रिपोर्ट का प्रकटीकरण करने वाला विद्युत क्षेत्र का पहला भारतीय पीएसयू

  • 2017

    एडीबी ने देश सुरक्षोपाय प्रणाली (सीएसएस) के तहत एशिया में अपने पहले दस्तावेज के रूप में पावरग्रिड ईएसपीपी को अनुमोदित किया।

पर्यावरण और सामाजिक नीति एवं प्रक्रियाएं (ईएसपीपी)

सुपरिभाषित और लिखित E&S सुरक्षा नीति के साथ आने वाली एशिया की पहली कंपनी
दुनिया का पहला संगठन, जिसकी सुरक्षा नीति (ईएसपीपी) को दो प्रमुख बहुपक्षीय एजेंसियों जैसे विश्व बैंक और एडीबी द्वारा स्वीकार किया गया है।
  • वर्ष 1998 में विकसित की गई तथा इसके बाद वर्ष 2005 और 2009 में अद्यतन की गई।
  • सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल करते हुए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और साइट स्तर पर व्यापक परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से विकसित की गई।
  • पारेषण लाइन परियोजनाओं से संबद्ध पर्यावरण एवं सामाजिक (ई एंड एस) मुद्दों को संबोधित करने के लिए बचाव, न्यूनीकरण और शमन के मूल सिद्धांतों का पालन करता है।
  • इसके प्रावधान अधिकांशतः प्रमुख बहुपक्षीय एजेंसियों जैसे विश्व बैंक, एडीबी आदि की नीतियों/मानकों के साथ-साथ सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय परिपाटियों के अनुरूप हैं।,
  • परियोजना विशिष्ट पर्यावरण एवं सामाजिक (ई एंड एस) आकलन / ईएमपी, विकल्पों का अध्ययन, सार्वजनिक परामर्श और सुरक्षा दस्तावेज के सार्वजनिक प्रकटीकरण आदि के अनिवार्य प्रावधान राष्ट्रीय अपेक्षाओं से परे हैं।

सामाजिक उद्देश्य

  • पर्यावास, आदिवासी क्षेत्रों और सांस्कृतिक विरासत के स्थलों को होने वाले विक्षोभ को कम-से-कम करने के लिए निर्दिष्ट सावधानियों का पालन किया जाना
  • परियोजना कार्यान्वयन के सभी चरणों के दौरान प्रभावित व्यक्तियों / समुदायों के साथ परामर्श / संलग्नता
  • अल्प-सुविधाप्राप्त और कमजोर समूहों पर विशेष ध्यान देना और उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना
  • संभावित दुर्घटनाओं के परिवर्जन के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा के उच्चतम मानक बनाए रखना

पर्यावरण उद्देश्य

  • विकल्पों के अध्ययन के माध्यम से, पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों, पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों, वनों, अभ्यारण्यों, राष्ट्रीय पार्कों, टाइगर रिजर्व/जीवमंडल और सीआरजेड के तहत कवर किए गए तटीय क्षेत्रों में प्रचालनों का परिवर्जन
  • परियोजना कार्यान्वयन की पर्यावरणीय निहितार्थों पर विचार करते हुए नूतन/व्यवहार्य अभियांत्रिकीय/जैविक समाधानों पर विचार करना / तैयार करना
  • कुशल और सुरक्षित प्रौद्योगिकीय परिपाटियों का अनुप्रयोग
  • सभी कार्यकलापों और प्रचालनों में प्रदूषण को कम करना
  • ऊर्जा हानि को कम करना और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना
वैश्विक रिपोर्टिंग पहल (जीआरआई) दिशानिर्देशों के आधार पर वित्त वर्ष 2008-09 के लिए मार्च 2010 में एक पृथक सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट का प्रकटन करने वाला देश में विद्युत क्षेत्र में पहला पीएसयू।

सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट 

हमारे ईएसपीपी के प्रकटीकरण के साथ वर्ष 1998 में शुरू हुई हमारी सस्टेनेबिलिटी यात्रा को जारी रखते हुए व इसे और गति प्रदान करने के लिए, पावरग्रिड ने ईएसजी ढांचे की प्रक्रिया शुरू की है। व्यापार और बाजार की बदलती गतिशीलता की रूपरेखा के कारण ही नही बल्कि हमारे हितधारकों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए भी यह आवश्यक हो गया है ।

चूंकि, हम जलवायु परिवर्तन जैसी दुनिया की गंभीर समस्याओं के समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं, ESG ढांचा हमें अपने सतत प्रयासों को सिंक्रनाइज़ करने और समेकित करने में मदद करेगा और हमारी रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता लाएगा। इसके अतिरिक्त, यह स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) द्वारा नई शुरू की गई नियामक आवश्यकताओं जैसे "व्यावसायिक उत्तरदायित्व और सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट" के अनुपालन में भी उपयोगी होगा।

सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)

पावरग्रिड ने कुल 17 में से 13 एसडीजी के साथ अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को संरेखित किया है।

संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों(एसडीजी)एजेंडा 2030 के लिए ग्लोबल रिपोर्टिंग इनिशिएटिव(जीआरआई),दक्षिण एशिया के साथ साझेदारी।

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प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन

बचाव और न्यूनीकरण के माध्यम से संसाधन दक्षता के मूल सिद्धांतों का पालन करते हुए, वैकल्पिक मार्गों के अध्ययन और आधुनिक सर्वेक्षण साधनों के उपयोग सहित कार्यप्रणाली अनुकूलन के माध्यम से वन की भागीदारी, जो एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन/कार्बन सिंक है, वर्ष 1998 के 6% बेसलाइन से लगभग 65% तक उत्तरोत्तर रूप से कम कर दी गई है।

अभिनव टावर डिजाइन (मल्टी-सर्किट, कॉम्पैक्ट और पोल टाइप टावर) के विकास और उपयोग तथा उच्च वोल्टता स्तर पारेषण प्रणाली (1200 केवी, ± 800 केवी एचवीडीसी, 765 केवी इत्यादि) को अपनाने के रूप में आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से न केवल बहुमूल्य भूमि संसाधनों की आवश्यकता और परियोजनाओं के लिए सामाजिक जोखिम कम हो जाते हैं बल्कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वृक्षों की कटाई में कमी के साथ-साथ वन्यजीवों के संरक्षण में भी सुधार हुआ है।

ओखला पक्षी अभ्यारण्य के समीप संस्थापित पोल-टाइप डावर
जैदापाड़ा अभ्यारण्य में मौजूदा गलियारे में मल्टी सर्किट टावर
1200 केवी अपग्रेडेबल वर्धा-औरंगाबादा लाइन
राजाजी राष्ट्रीय पार्क में ऊंचे टावर (80 मीटर तक) के परिणामस्वरूप वृक्ष कटाई 90,000 से कम होकर 14,739 हो गई।

सामाजिक प्रभावों को कम करना

भूमि अनुकूलन, पारंपरिक एआईएस के स्थान पर कॉम्पैक्ट सबस्टेशन (जीआईएस) को अपनाने, मुख्य रूप से अतिक्रमण मुक्त सरकारी बंजर भूमि पर सबस्टेशन की संभावनाओं का पता लगाने के माध्यम से सामाजिक प्रभावों को कम करना।

ग्वालियर सब-स्टेशन के निर्माण से पहले बंजर भूमि
निर्माण के उपरांत ग्वालियर सब-स्टेशन

हस्तक्षेप से बचने के लिए बाजार/बातचीत दर पर "इच्छुक खरीदार इच्छुक विक्रेता" के आधार पर सबस्टेशन के लिए भूमि सुनिश्चित करना।

प्राकृतिक संसाधनों की पुनःपूर्ति

अपने प्रतिष्ठानों में वर्ष 2021 तक उपयुक्त स्वदेशी प्रजातियों के 7 लाख से अधिक पेड़ों के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण। वर्ष 2030 तक अतिरिक्त 5.5 लाख पौधे लगाने की योजना है।

वर्षा जल संचयन, हमारे सबस्टेशनों के डिजाइन का एक अभिन्न और अनिवार्य हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बहुमूल्य वर्षा जल को संरक्षित करना और संचयन / पुनर्भरण के माध्यम से भूजल जलभृतों की स्थिरता को बनाए रखना है।

 
पावरग्रिड द्वारा अगले 5 वर्षों के भीतर हमारी खपत के वर्तमान 20% से भूजल पुनःभरण को 50% तक बढ़ाया जाना

धातु के कचरे, प्रयुक्त बैटरी, ट्रांसफार्मर ऑयल और ई-अपशिष्ट आदि, जिन्हें लागू विनियमों को पालन करते हुए पर्यावरण के अनुकूल तरीके से अधिकृत पुनर्चक्रणकर्ताओं / पुनर्संसाधकों को विक्रय कर दिया जाता है या पुनर्चक्रण के लिए विनिर्माताओं को वापस कर दिया जाता है, को छोड़कर हमारी गतिविधियों की प्रकृति के कारण कोई बड़ा ठोस या तरल अपशिष्ट उत्पन्न नहीं होता है। दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से उत्पन्न घरेलू जैविक अपशिष्ट, कागज आदि जैसे अन्य अपशिष्टों के लिए हमारा अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम कम-उपयोग, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण सिद्धांत पर आधारित है। पावरग्रिड द्वारा की गई कुछ प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं

इसके आवासीय टाउनशिप/सबस्टेशन और कार्यालय प्रतिष्ठानों से उत्पन्न जैविक/जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग के लिए 55 से अधिक स्थानों पर कंपोस्टिंग मशीनों की संस्थापना। इस पहल के परिणामस्वरूप जैविक अपशिष्ट के निपटान की समस्या का उन्मूलन कर दिया गया है और साथ ही ऐसे अपशिष्ट से बनी खाद का अंतःपरिसर ही लाभकारी उपयोग किया जाता है।

गुड़गांव सबस्टेशन में एक "अपशिष्ट कागज पुनर्चक्रण" संयंत्र की स्थापना की गई, जिसमें प्रतिदिन 40-60 किलोग्राम अपशिष्ट कागज को संसाधित करने की क्षमता है, जिसके परिणामस्वरूप वृक्ष, जल आदि जैसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हुआ है और खुले बाजार से कागज / लेखन सामग्री की खरीद में भी कमी आई है।

ई-ऑफिस, ड्रीम्स (ड्राइंग रिव्यू एंड इंजीनियरिंग अप्रूवल मैनेजमेंट सिस्टम), ई-टेंडरिंग पोर्टल-प्रैनिट, सेंट्रलाइज्ड वेंडर बिल प्रोसेसिंग सुविधाओं की स्थापना आदि जैसे कागजरहित कार्य की डिजिटल पहल के परिणामस्वरूप न केवल रद्दी कागज काफी हद तक कम हुआ है, बल्कि इससे भविष्य में भी कागजरहित कार्यालय का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

पावरग्रिड सुनिश्चित करता है कि सरकारी विभागों, समुदायों से लेकर व्यक्तिगत भूस्वामियों और कर्मचारियों तक हमारे सभी हितधारक, देश भर में विद्युत के पारेषण में पावरग्रिड की भूमिका से सुपरिचित हो, इसमें शामिल हों और इसे भली-भांति समझते हों। ईएसपीपी, एक सुपरिभाषित सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ-साथ इसके कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में परियोजना के बारे में प्रासंगिक जानकारी के प्रसार के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

औपचारिक और अनौपचारिक परामर्श के दौरान, समुदाय के प्रश्नों/शंकाओं/समस्याओं को सुना जाता है और उन्हें संतोषजनक उत्तर दिया जाता है। हम जनता के सदस्यों को प्रतिक्रिया/सुझाव देने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं, जिन पर परियोजना कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों के दौरान व्यवहार्यता के अनुसार विचार किया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल स्थानीय समुदाय के बीच परियोजना के प्रति स्वामित्व की भावना सुनिश्चित करती है बल्कि संगठन की छवि को भी समृद्ध बनाती है।

पावरग्रिड द्वारा वर्ष 2025 तक अपनी विद्युत खपत का 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त किया जाना

भारत सरकार के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में, पावरग्रिड उच्च क्षमता वाले हरित ऊर्जा गलियारों (जीईसी) के कार्यान्वयन के माध्यम से देश में विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के ग्रिड एकीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व को स्वीकार करते हुए, पावरग्रिड ने पहले ही 118 स्थानों पर 7.6 MWp रूफटॉप सौर पीवी प्रणाली संस्थापित की है। इसके अलावा, 96 स्थानों पर 7.5 MWp की स्थापना योजना/कार्यान्वयन की प्रक्रियाधीन है। रूफटॉप सौर पीवी प्रणाली की संस्थापित क्षमता से वार्षिक रूप से लगभग 9300 मीट्रिक टन कार्बन-डाइ-ऑक्साइड उत्सर्जन कम हो रहा है।

पावरग्रिड सबस्टेशनों में उपलब्ध खाली जमीन पर सौर ऊर्जा उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का भी मूल्यांकन कर रहा है। ऐसा पहला संयंत्र नागदा (म.प्र.) में स्थापित किया जाएगा, जिसकी क्षमता 105 मेगावाट है।

दूरसंचार एंटिना को विद्युत प्रदान करे के लिए अर्थ वायर में प्रेरक विद्युत के उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने में अग्रणी प्रयास में डीजी सेटों से होने वाले ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी), - जो प्रदूषण और जीएचजी उत्सर्जन का एक निरंतर स्रोत हैं - के उत्सर्जन को कम करने की अपार संभावनाएं हैं। इस पहल के परिणामस्वरूप 40-60 टन कार्बन-डाइ-ऑक्साइड/वर्ष/स्थान की बचत होगी।

जलवायु तन्यकता के मोर्चे पर, पावरग्रिड ने अपनी परिसंपत्तियों के लिए जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निपटने के लिए परिवर्तनशील पवन प्रोफाइल वाले क्षेत्रों में टावरों के सुदृढ़ीकरण, डिजाइन मापदंडों को सख्त बनाना आदि जैसी पहलें की हैं।

अपने सभी प्रतिष्ठानों में उपयुक्त प्रजातियों के वृक्षारोपण के माध्यम से कार्बन सिंक को बढ़ाना, जिसमें पहले से मौजूद 7 लाख पेड़ों के अलावा वर्ष 2030 तक अतिरिक्त 5.5 लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य है।

North Eastern Region Power System Improvement Project (NERPSIP)